अथ लम्पट रावण स्तोत्रम्
झोले झम्पाट झल्लारम् हमेसा काखी च्यापनम् निषेधम् योग्य दक्षानाम् लम्पटम् नव लक्षणम् ॥ देश काँक्रो चिरेजस्तो भरौटे चिरी तारणम् केतुराहु शनि तुल्यम् लङ्गडम् दस लक्षणम् ।
आदौ वस्तुनिर्देशः
राम भक्तम् न कर्तव्यम् रावणम् यो उपासते
तस्य पुण्यप्रभावेण देशे झल्लरी मल्लरी ॥
अत्र रावणस्य भक्ताय के पिर्थ्यो झुसुले डिँगा
सैव निश्चित रूपेण रावणस्य पिँधे झिगा ।
अब लक्षणम्ः
मने मने मुखे नित्यम् निश्चित रूपामा च हि
जतामल्खुं उतै ढल्कुं लम्पटम् एक लक्षणम् ॥
गाँण साँण तथा भाँण राँण …णं च शासनम्
पिप्पल पात सदृशं लम्पटं च द्वि लक्षणम् ॥
कदाचित् र्याल भक्तं च कदाचित् टुक्क भक्तकम्
कदाचित् पुत्री भक्तं वा लम्पटं च त्रि लक्षणम् ॥
भाषा संस्कृति साहित्य नित्य नाशनमुद्यतम्
शकुनि सदृशं नित्यं चतुर्थम् तस्य लक्षणम् ॥
नाम एक तथा काम अपरं नित्यमुद्यमम्
खाओवादे रतं नित्यम् लम्पटं पञ्च लक्षणम् ॥
हिन्दु धर्म विनाशाय दिन रातं समुद्यतम्
प्रिस्ट पादरी भक्तारम् लम्पटम् षष्ट लक्षणम् ॥
जातिजात उकासेर साम्प्रदायिक ताण्डवम्
मने मने मुखे नित्यम् लम्पटम् सप्त लक्षणम् ।
पितरम् किरिया नास्ति न च पुत्रस्य सद्गतिम्
सत्रहज्जार भोक्तारम् लम्पटम् अष्ट लक्षणग् ।
झोले झम्पाट झल्लारम् हमेसा काखी च्यापनम्
निषेधम् योग्य दक्षानाम् लम्पटम् नव लक्षणम् ॥
देश काँक्रो चिरेजस्तो भरौटे चिरी तारणम्
केतुराहु शनि तुल्यम् लङ्गडम् दस लक्षणम् ।
अथ प्रार्थना
पुत्र पुत्रीं च सम्धीं च साला ज्वाइँ तथैव च
नातागोतेष्टमित्रं च भर्नार्तारं च नमाम्यहम् ।
सत्र हज्जार त्यागं च पञ्च हज्जार स्वीकृतम्
प्रचण्डपथकर्तारं रावणं प्रणमाम्यहम् ।
जता पायो उतै देश टुक्र्याई दिन तत्परम्
देश विध्वंस कर्तारम् रावणम् प्रमाम्यहम् ।
विदेशीहरूका लागि बन्धकी देश राखणम्
एमसिसि पास कर्तारम् रावणम् प्रमाम्यहम् ।
हामकर्ता सबै बाम अगस्ति सदृशम् प्रभो
हन्तकाली समम् वृत्तिम् रावणम् प्रमाम्यहम् ।
य इदम् पठते नित्यम् सायं प्रात तथा दिवा
बालुवा टार संप्राप्त्य रावणस्य छिँगा भवेत् ।
॥इति रावण स्तोत्रम् शुभा् भूयात् ॥
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भद्रपुर, झापा